हिन्दू धर्म की कुछ ख़ास बाते
हिंदू धर्म और धर्म से अलग है क्योंकि यह धर्म स्वयं इंसानों ने विकसित नहीं किया। बाकी के सभी धर्म इंसानों द्वारा विकसित किए गए हैं यह सभी धर्म मनुष्य ने अपनी आवश्यकता अनुसार विकसित किए हैं अगर ठीक तरीके से देखा जाए तो और धर्म का
धर्मों से कुछ लेना-देना नहीं है इसीलिए बाकी के सभी धर्म मनुष्य को आसानी से समझ में आ जाते हैं क्योंकि सभी धर्म स्वयं मानव निर्मित हैं जबकि हिंदू धर्म यह धर्म इंसानों द्वारा निर्मित नहीं है यह धर्म स्वयं ईश्वर का विधान है यही कारण है कि इंसानों को यह धर्म इतनी आसानी से समझ में नहीं आता
हिंदू धर्म में धर्म को समझने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जैसे सत्य,ब्रह्मचर्य,योग सूत्र के आठ अंग , यम, नियम, आसन प्राणायाम, धारणा,ध्यान,समाधि जो व्यक्ति इस मार्ग पर चलता है वही व्यक्ति हिंदू धर्म को अच्छे से समझ सकता है। अर्थात जो व्यक्ति इस मार्ग पर नहीं चलता वह व्यक्ति हिन्दू धर्म को अच्छे से नहीं समझ सकता यही कारण है कुछ लोग हिन्दू धर्म की आलोचना करते है।
लेकिन में आप को यह बता दू की जो दूसरे धर्म है जो मनुष्य ने खुद बनाये है अगर आप उसे मन भी लेते है तो उसे फायदा किया है क्युकी वह सत्य तो है नहीं वह तो सिर्फ अपने अपने विचार है लोगो को वही धर्म के नाम पर बताया जा रहा है।
कुछ लोगो का मानना है की उनके धर्मो को माने से भी उनकी इच्छा पूरी हो जाती है इसके बारे में में आपको इतना ही बता सकता हूँ की दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी है जो किसी भी धर्म में विश्वास रखते अर्ताथ वह लोग नास्तिक कहे जाते है क्या फिर उन लोगो की इच्छा पूरी नहीं होती उनकी भी इच्छा पूरी हो जाती है। वह लोग भी अपनी जीवन में खुश हाल रहते है ।तो ऐसा तो कही भी नहीं लिखा जो लोग धर्म को नहीं मानते उन लोगो की इच्छा पूरी होगी ।
33 करोड़ देवी देवताः
मैने कई विद्वानों की बाते पढ़ी है सुनी है अर्थात एक ऐसा वर्ग भी है जो 33 करोड़ हिन्दू देवी देवता होने पर प्रश्न लगता है। क्योकि काफी आलोचना करते है लोग इस बात की इस लिए उन लोगो यह किया है जो 33 करोड़ देवी देवताओं की संख्या है वह संख्या 33 पर ले आए क्यों की क्योंकि किसी भी पुराण या शास्त्र में 33 करोड़ देवी देवताओं की कोई भी सूची उपलब्ध नहीं है। अगर कोई व्यक्ति मुश्किल से 50 देवी देवताओं के नाम की उपलब्ध कर दे तो वह भी गरीमत है। क्यों की इतनी बड़ी सूची है ही नहीं तो फिर इतने ज्यादा देव देवता कैसे हो गए यह एक सबसे बड़ा प्रश्न है।
• लेकीन जो यह 33 करोड़ देवी देवता है हिन्दू धर्म के शास्त्रों में 33 कोटि शब्द का प्रयोग किया गया है कोटि शब्द के दो अर्थ निकलते हैं
•एक तो कोटि का मतलब होता है करोड़
•दूसरा मतलब होता है प्रकार यानी भिन्नता
जैसे उच्चतम कोटि निम्न कोटि मध्यम कोटि मतलब किस तरह के किस प्रकार यहां पर विद्वानों ने जो 33 करोड़ देवी देवताओं से सहमत नहीं है उन्होंने 33 प्रकार के देवी देवता मान लिए
लेकिन सवाल तो यह उठता है कि अगर 33 प्रकार के देवी देवता है तो उस प्रकार में भी कितने प्रकार के देवी देवता होगे फिर भी वह संख्या 33 से ऊपर ही जाएगी
लेकिन वह विद्वान यह कहते हैं कि 12 आदित्य, 11 रूद्र , 8 वसु इंद्र है सूर्य है मतलब इसी प्रकार से 33 प्रकार के देवी देवता मान लिए
परंतु जो मैंने अध्ययन किया है उसके हिसाब से मुझे यह लग रहा है कि 33 करोड़ शब्द का ही इस्तेमाल किया गया है सबसे पहले यह समझ ले देवता होते कोन है
देवता किसे कहा जाता है
जैसे हमारे हिंदू धर्म में जो सबसे सर्वोपरि माने जाते हैं वह है ब्रह्मा निराकार ब्रह्म जो कि एक है लेकिन जब वह सृष्टि करते हैं तब वह ले लेते हैं तीन रूप ब्रह्मा, विष्णु ,और ,महेश यह तीनों रूप उनके सहकार रूप हैं इन्हीं सहकार रूपो के साथ उनकी देवियां भी हैं
जैसे सरस्वती, ब्रह्मा जी के साथ लक्ष्मी, विष्णु जी के साथ ,दुर्गा भवानी यानी पार्वती शंकर जी के साथ इसके अलावा जैसे राम हैं कृष्ण है हनुमान है गणेश हैं और भी विष्णु जी के कई अवतार हैं
तो यह सब के सब भगवान की श्रेणी में आते हैं स्वयं ईश्वर हैं इनको हम देवताओं की श्रेणी में नहीं रख सकते क्योंकि यह देवताओं से श्रेष्ठ है इनमें से जो ब्रह्माजी हैं यही है हमारी सृष्टि के आदि परम पितामह उन्होंने ही सृष्टि को सही ढंग से आरंभ किया है
ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम 10 महा ऋषि उत्पन्न किए यह जो महर्षि हैं इन्हीं की संताने देवता कहलाती है और यह भी ऐसे ही देवता नहीं कहलाते इन्हें भी तप करना पड़ता है तप करने के बाद ही उनका देवव्रत सिद्ध होता है और उन्हें देव पद प्राप्त होता है लेकिन फिर भी हम यह नहीं कह सकते देवी देवताओं की संख्या 33 करोड़ है
कुछ बातें ऐसी है जिन पर आज भी विज्ञान उत्तर नहीं दे पाता जैसे दुनिया में मुर्गी पहले आई या फिर अंडा परंतु हिंदू धर्म ग्रंथ में कुछ ऐसी कथाएं उपस्थित हैं।
पता चलता है कि यह जितने भी जीव हैं नर और मादा के सहयोग से सृष्टि उत्पन्न करते हैं।तो यह सारे स्वयं ऋषियो ने यज्ञ के द्वारा उत्पन्न किए हैं अर्थात यह कह सकते हैं कि सृष्टि पर जो भी मानव के सहयोगी पशु पक्षी हैं उन्हें स्वयं यज्ञ के द्वारा उत्पन्न किया गया बल्कि सीधे पशु ही उत्पन्न नहीं किए गए बल्कि ऋषि थे उनको भी स्वयं उत्पन्न किया एवं उनका देवांत सिद्ध करके उन्हें ही यह कार्य सौंपा गया।
जैसे कश्यप ऋषि की एक पत्नी है विनता के पुत्र हैं गरुड़ यह गरुड़ है तो पुरुष परंतु इन्होंने तपस्या की और अपना देवताय सिद्ध किया
भगवान ने इनको पक्षीराज गरुड़ यानी गिद्ध की सृष्टि उत्पन्न करने का कार्य र्सौंपा बाद में इनको विष्णु जी ने अपना वाहन भी बनाया
इसी प्रकार से संपाती है जटायु है वह इन्हीं के भाई हैं वह भी देव प्रजाति के है एरावत वह भी कश्यप ऋषि की पत्नी की संतान है
उन्होंने हाथियों की सृष्टि उत्पन्न की उच्च सर्व घोड़ा ,कश्यप ऋषि की एक पत्नी है कद्रू जिन्होंने नागों की सृष्टि उत्पन्न की है तो यह जितने भी हैं देव है इन सभी की शुरुआत ओं में देवता हुए हैं जिन्होंने इनकी सृष्टि उत्पन्न की है।
मैंने बहुत पहले एक किताब में पढ़ा था जिस ऋषि को वानर की सृष्टि उत्पन्न करने का कार्य सौंपा तो वह जैसी निराश हो गया और बोला कि आपने मुझे ऐसे पशु की सृष्टि करने का कार्य सौंप दिया जो मनुष्य की कहीं पर भी काम नहीं आता और बल्कि निंदा का पात्र है तब भगवान ने उनको समझाया आगे चलकर त्रेता युग में
आगे चलकर आपके ही वश में भगवान शंकर अपने ग्यारहवें अंश के रूप में जन्म लेंगे हनुमान के रूप में तो इस बात से वह प्रसन्न हुए और उन्होंने वानर की सृष्टि उत्पन्न करने का फैसला किया इसी तरह से जामवंत आपने जामवंत को रामायण में देखा होगा। जिन्होंने भालू की सृष्टि उत्पन्न की तो आप सोचिए कितनी प्रजातियां हैं जो नर और मादा के सायोग से सृष्टि उत्पन्न करते हैं
इन सभी के देव हुई है वैसे तो 84 लाख योनियां बताई जाती है
लिकेन इन मेे वो जींस शामली नहीं है जो बिना नर और मादा के सयोग से सृष्टि कर दे जैसे कीट पतंग होते है मच्छर मक्खी कीड़े मकोड़े यह सभी बिना किसी संपर्क के अपने आप उत्पन्न होते हैं संभवत केबल यह सिर्फ कलयुग में ही उत्पन्न होते है सतयुग में कोई कीड़े मकोड़े की प्रजाति का नाम ही नहीं है क्यों उस समय इतने यज्ञ हुआ करते थे तो वातावरण में शुद्धता होती थी तो उसमे कीट पतंगे की सम्भावना कम थी जिन प्रजातियो की में बात कर रहा हूँ सिर्फ वही नर और मादा के सयोग से सृष्टि उत्पन कर दे उन सभी के आदि देव हुई है आगरा नर और मादा हमेशा के लिए समाप्त हो जाये तो यह प्रजातिया भी समाप्त हो जाएंगे
अगर इस प्रकार से देखा जाये तो यह जो देव है इन्दर देव वरुण देव अग्गनी देव यह सभी तो देव है ही साथ ही जो पशु पक्षी के देव है जैसे गरुड़ है तक्षक है बासुकी नंदी कामधनु नदिया है जैसे गंगा है युमना है युमना सूर्य की पुत्री है इसी प्रकार से लाखो कि संखिया तो इन सभी की हो गई और भी होंगे एक एक प्रजातियो के कई कई देव है परन्तु उन के नाम नही है।
मनवन्तर क्या होता है
सृष्टि की आयु का अनुमान लगाने के लिए चार युगो सतयुग, त्रेतायुग,द्वापरयुग और कलयुग का एक महायुग मन जाता है 71 महायुग मिलकर एक मन्वन्तर बनता है महायुग की अवधि 43 लाख 20 हज़ार वर्ष मानी गई है और 14
मन्वन्तरों का एक कल्प होता है प्रतेक मन्वन्तरों में सृष्टि का एक मनु होता है और उसी के नाम पर उस मन्वन्तर का नाम पड़ता है एक मन्वन्तर में तीस करोड़ , अड़सठ लाख ,बीस हज़ार वर्ष होते है इसी प्रकार से एक मन्वन्तर में जो भी देवता या ऋषि होती है वह अगले मन्वन्तर में बदल जाते है फिर नए देवता
ऋषि भी नए होते है जैसे सप्त ऋषि है वह हर मन्वन्तर में अलग होते है अब आप सोचिये की जो पिछले मन्वन्तर के देवता है उनका क्या होता है उनका पद बढ़ जाता है वह ऋषि बन जाते है यानि ऋषि जो होते है वह देवताओ से श्रेस्ट होते है ऋषि बनाकर फिर भ्रमऋषि फिर वह ब्रह्मांड से मुक्त होकर दूसरे लोक में चले जाते है और तप करते है तो इस प्रकार से जो पिछेल जन्म के देवता थे वो भी देवता ही कहलायेंगे अब अगर हम देखे की आज के समय तक जितने भी मन्वन्तर बीत चुके है और जितने भी देव हुए है वह सभी देव कहलाते है इस वजह से हिन्दू धर्म में देवी देवता की संख्या 33 करोड़ है और शायद जैसे जैसे मन्वन्तर बढ़ते जायगे आने वाले समय में भी देवी देवताओ की संख्या भी बढ़ सकती है इस लिए मैने आप से कहा था की हिन्दू धर्म मानव निर्मित नहीं है इसको समझने के लिए शुद्ध शाकाहार होकर तप करना पड़ता जब जा कर कुछ समझ आता है
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