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पाखंड के नाम पर हिन्दू भगवान का अपमान क्यों ??

नमस्कार दोस्तों अगर बात धर्मों की करें तो भारत में 4 मुख्य धर्म है हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म यह वह धर्म है जो मुख्य रूप से माने जाते हैं। जनसंख्या के तौर पर भी सभी धर्मों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं।
• सभी धर्मों के रीति रिवाज संस्कृति अलग अलग है।भारत के संविधान के  अनुच्छेद 26 सभी धार्मिक संप्रदायों तथा पंथों को सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता तथा स्वास्थ्य के अधीन अपने धार्मिक मामलों का स्वयं प्रबंधन करने, अपने स्तर पर धर्मार्थ या धार्मिक प्रयोजन से संस्थाएं स्थापित करने और कानून के अनुसार संपत्ति रखने, प्राप्त करने और उसका प्रबंधन करने के अधिकार की गारंटी देता है।

• हम सभी लोग ईश्वर में विश्वास करते है। इस लिए हर शुभ कार्य में हम ईश्वर को सबसे पहले याद करते हैं। परंतु शायद हम अनजाने में अपने ही ईश्वर का अपमान कर रहे हैं। अगर देखा जाए तो हिंदू धर्म में भगवान में आस्था रखने के नाम पर सबसे अधिक पाखंड हो रहा है। इस पाखंड के कारण ही हमारे हिंदू देवी देवताओं का अपमान भी हो रहा है कोई भी व्यक्ति इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाना चाहता हम सब लोग जो इस कार्य को बढ़ावा दे रहे हैं।हम सब भी जिम्मेदार हैं ।

• आप सभी लोगों ने देखा होगा हमारे हिंदू संस्कृति में पीपल के पेड़ की पूजा होती है। और पीपल के पेड़ को पूजा भी जाता है
यही कारण है कुछ तथाकथित मानसिकता वाले लोग घर में कोई भी हवन कुंड करवाते हैं या फिर कोई भी मूर्ति अगर खंडित हो जाती है तो उस मूर्ति को पीपल के पेड़ के नीचे जाकर रख आते हैं। यह सोच कर कि यहां से कोई व्यक्ति के द्वारा  सभी मूर्तियां गंगा में प्रवाहित की जाएगी परंतु ऐसा नहीं होता जी हां आपको बता दूं कि यह जो घटना में आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं यह घटना स्वयं मेरे सामने घटित हुई है और यही कारण है जो मैं यह लेख लिख रहा हूं ताकि आप सभी लोग भी  इस घटना से जागरूक हो सकें और अपने भगवान का अपमान होने से बचा सके मैंने देखा कुछ तथाकथित मानसिकता वाले लोगों ने पीपल के पेड़ के नीचे कुछ मूर्तियां इकट्ठी करके रख दी है पेड़ के पीछे की साइड गंदा नाला बह रहा था जहां पर गंदगी खट्टा हो रही थी उसी के आसपास गंदगी का ढेर भी लगा हुआ था वहीं पर हमारे भगवान की मूर्तियां भी रखी हुई थी परंतु लोग उस जगह को मंदिर का दर्जा दे रहे थे जो कि काफी आचार्य जनक बात है हमारे हिंदू देवी देवताओं का मंदिर ऐसी गंदी जगह होना आपको सही लगता है
वहां पर तमाम लोग मूर्तियां रख कर चले जाते हैं और बाद में वह सभी मूर्ति एमसीडी प्रशासन के द्वारा कूड़ेदान में चली जाती हैं   यह जानकारी सरकारी अस्पताल  के एक कर्मचारी के द्वारा बताई गई।
यह सब सुनकर मैं आचार्य चकित रह गया कि लोग अपने घर से मूर्तियां यहां पर रखकर जाते हैं उनको लगता है कि यहां से यह सभी मूर्तियां गंगा में प्रवाहित की जाएंगी परंतु वहां पर कोई भी व्यक्ति गंगा में मूर्तियों को प्रवाहित करने के लिए उपस्थित नहीं होता उसके बावजूद भी लोग वहां पर वह मूर्तियां रख कर चले जाते हैं तो क्या यह कार्य सही है क्योंकि लोग खुद वहां मूर्तियां रखे जाते हैं और स्वयं ही अपने भगवान का अपमान करवा रहे हैं क्या आप में से किसी भी व्यक्ति ने किसी और धर्म में इस तरह की घटना देखी है जहां पर अपने भगवान का स्वयं ही निरादर किया जा रहा है। अगर कोई मूर्ति खंडित हो गई है तो उसको सही तरीके से गंगा नदी में या फिर यमुना नदी में प्रवाहित किया जा सकता हैं  आपको क्या लगता है क्या यह सही है 


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