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मंकीपॅाक्स की दिल्ली मे दस्तक, क्या इस वायरस से परेशान होने की जरुरत है? लक्षण, और इलाज जानिए


मंकीपॅाक्स की दिल्ली मे दस्तक, क्या इस वायरस से परेशान होने की जरुरत  है?  लक्षण, और इलाज जानिए

3 आगस्त  2022
अपडेट 3 आगस्त  2022

देश की राजधानी दिल्ली मे मकीपॅाक्स का मामला सामने आया है. स्वास्थ्य मत्रालय ने दिल्ली  के पहले मंकीपॅाक्स के मरीज की पुष्टि की है.

दिल्ली के सामने आए इस ताज़ा  मामले में एक आदमी सक्रमित पाया गया है व्यक्ति को बुखार और घावों के बाद  अस्पताल  में भर्ती किया गया..

 विश्व  स्वास्थ्य   सगंठन के मुताबिक इस वायरस के अब तक  16,000 मामले  सामने आ  चुके है ,

वही यह पांच लोगे की मौत का कारण भी बना है.












मंकीपॅाक्स को जाने

इस वायरस का पहला मामला 1950 के दशक में सामने आया था . बीते कुछ महीनो के दौरान यह  वायरस दुनिया भर के देशों मे अपने कदम रख चुका है....

यह बीमारी अफ्रीकी लोगो मे आम है लिकेन अब दुनिया कई देशो में अपने कदम जमा रही है खासकर  अमेरिका , कनाडा , ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों में इसके मामले सामने आ रहे है ....

 हालांकि इस बीमारी का प्रकोप अभी बहुत व्यापक तो नहीं है लेकिन कुछ देशों में आए नए केस ने लोगो में चिंता ज़रूर पैदा कर दिया है स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि एक बार फिर वायरस के फैलने का कारण क्या है इसे लेकर अधिक जानकारी नहीं है, उनका कहना है कि फिलहाल आम जनता के लिए घबराने की कोई बात नहीं है मंकीपॉक्स, एक वायरस के कारण होता है, जो स्मॉलपॉक्स की फैमिली का ही एक वायरस है. ये मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों के लोगों में ज़्यादा देखने को मिला है. इस वायरस के दो अहम स्ट्रेन हैं: पश्चिमी अफ्रीकी और मध्य अफ्रीकी.

साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय में वैश्विक स्वास्थ्य मामले पर रिसर्च करने वाले सीनियर रिसर्चर माइकल हेड का कहना है कि वर्तमान समय ये वायरस का संक्रमण क्यों फैल रहा है. इसके बारे में जानकारी अभी कम है, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि लोगों को संक्रमण के स्तर से उस हद तक डरने की ज़रूरत है जैसे कि कोरोनोवायरस महामारी देखा गया था.

साइंस मीडिया सेंटर में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हमारे लिए हर आउटब्रेक में कुछ मामले ही देखने को मिलेंगे, निश्चित रूप से ये संक्रमण कोविड जैसा नहीं होगा. "

जब कोरोनवायरस का पहले केस सामने आया था तो इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था, मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में पहले से काफ़ी कुछ पता है. इसके लिए टीके हैं, उपचार है और पिछली बार जब ये बीमारी फैली थी तो उसका अनुभव भी हैं. हालांकि, अथॉरिटी का कहना है कि भले ही ये वायरस इतना ख़तरनाक ना दिख रहा हो लेकिन इसे रोकने के व्यापक प्रयासों में कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि वायरस म्यूटेट होते रहते हैं और इनके नए स्ट्रेन सामने आते रहते हैं.


मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?






शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, सूजन, कमर दर्द और मांसपेशियों में दर्द शामिल है. बुखार होने पर त्वचा पर रैश हो सकते हैं. जिसकी शुरुआत अक्सर चेहरे से होती है, फिर शरीर के दूसरे हिस्सों में ये फैल जाता है.

आमतौर पर हथेलियों और पैरों के तलवे पर ज़्यादा होता है. रैश पर बहुत खुजली हो सकती है, दर्द हो सकता है. इसमें कई बदलाव होते हैं और आख़िर में इसकी पपड़ी बन जाती है, जो बाद में गिर जाती है. जिसके बाद घाव के निशान भी पड़ सकते हैं. ये संक्रमण आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है और 14 से 21 दिनों तक रहता है.


मंकीपॉक्स का इलाज क्या है?





यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि मंकीपॉक्स के संक्रमण के लिए वर्तमान में कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन दवा के साथ इसके फैलने को नियंत्रित किया जा सकता है. बाजार में पहले से दवाएं मौजूद हैं जो पहले से मंकीपॉक्स में इस्तेमाल के लिए अप्रूव हैं और बीमारी के खिलाफ प्रभावी रही है. जैसे-सिडोफोविर, एसटी -246 और वैक्सीनिया इम्युनोग्लोबुलिन का इस्तेमाल मंकीपॉक्स के संक्रमण में किया जाता है.

मंकीपॉक्स की रोकथाम और उपचार के लिए एक बहु-राष्ट्रीय स्तर पर मंजूरी पा चुकी वैक्सीन JYNNEOSTM भी उपलब्ध है जिसे इम्वाम्यून या इम्वेनेक्स के नाम से भी जाना जाता है. इस वैक्सीन को डेनिश दवा कंपनी बवेरियन नॉर्डिक बनाती है.

अफ्रीका में इसके इस्तेमाल के पिछले आंकड़े बताते हैं कि यह मंकीपॉक्स को रोकने में 85% प्रभावी है.

इसके अलावा एक चेचक का टीका है जिसका नाम ACAM2000 है. स्वास्थ्य अधिकारी मानते है कि ये वैक्सीन मंकीपॉक्स के खिलाफ भी प्रभावी होती है.

इस वैक्सीन का इस्तेमाल साल 2003 में अमेरिका में इस वायरस के फैलने के समय किया गया था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुका है कि चेचक के टीके लगवाने वाले लोग काफ़ी हद तक मंकीपॉक्स वायरस से भी सुरक्षित रहते हैं. हालांकि कई देशों में इस टीकाकरण को लगभग 40 साल पहले ही बंद कर दिया गया था क्योंकि इन देशों से चेचक की बीमारी ही खत्म हो चुकी थी.

अधिकांश देशों में टीके वर्तमान में केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए हैं, जिनपर इस बीमारी का जोखिम में बड़ा माना जा रहा है.

ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी बताती है कि मंकीपॉक्स टीके का उपयोग संक्रमित होने से पहले और बाद में दोनों में स्थिति में किया जा सकता है.

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